Ai can't replace Human Intelligence

टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन: “एआई मानव बुद्धिमत्ता का विकल्प नहीं हो सकता”

टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में व्यापक बदलाव ला सकता है, लेकिन यह मानव तत्व को प्रतिस्थापित नहीं कर सकता। कोयंबटूर में गंगा अस्पताल में 10वें फाउंडर ऑरेशन पर अपने भाषण में उन्होंने यह विचार साझा किए।

उन्होंने कहा कि एआई का वास्तविक प्रभाव उसके मानव उपयोग पर निर्भर है। यह एल्गोरिदम के माध्यम से बेहतर विश्लेषण कर सकता है, लेकिन इसके लिए क्लाउड सिस्टम और डेटा स्टोरेज की आवश्यकता होती है।

भविष्य के स्वास्थ्य क्षेत्र में एआई का योगदान

Ai can't replace Human Intelligence

उन्होंने स्वास्थ्य सेवा में एआई की प्रगति को रेखांकित करते हुए कहा कि 2025 तक यह व्यक्तिगत उपचार योजनाएं बनाने में सक्षम होगा। 2030 तक मानसिक स्वास्थ्य और भाषण पैटर्न का पता लगाने में मदद करेगा। 2040 तक रिमोट सर्जरी और 2050 तक अंग प्रतिस्थापन के क्षेत्र में एआई और प्रोस्थेटिक्स में उन्नति संभव है।

भारत की स्वास्थ्य सेवाओं में असमानता

भारत में स्वास्थ्य सेवाओं में असमानता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों और विशेषज्ञों की भारी कमी है। “मिसिंग मिडल” की समस्या को हल करना आवश्यक है, ताकि विशेषज्ञों का समय 50% तक बच सके। इसके लिए नई पीढ़ी के चिकित्सा कर्मचारियों का विकास और प्रशिक्षण आवश्यक है।

भविष्य की तैयारी

एन. चंद्रशेखरन ने बताया कि भारत की वृद्ध जनसंख्या 2050 तक 320 मिलियन तक पहुंच जाएगी, जो यूरोप की जनसंख्या से भी अधिक होगी। इस चुनौती का सामना करने के लिए भारत को वयस्क स्वास्थ्य सेवा का बुनियादी ढांचा विकसित करना होगा।

उन्होंने एआई और रोबोटिक्स को अगले 30 वर्षों में भारत को पश्चिमी देशों के लिए समाधान प्रस्तुत करने में सक्षम बताया। साथ ही सरकार और अस्पतालों की बड़ी भूमिका को रेखांकित किया।

यह विचार भारत को स्वास्थ्य और तकनीक के क्षेत्र में नई संभावनाओं का केंद्र बना सकते हैं।

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