AI-Based Crime Control: Delhi Police's Remarkable Initiative

AI आधारित अपराध नियंत्रण: दिल्ली पुलिस की प्रभावशाली पहल ।। AI-Based Crime Control: Delhi Police’s Remarkable Initiative

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और फेस रिकग्निशन सिस्टम (FRS) ने दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को अपराधियों की पहचान और गिरफ्तारी में अद्वितीय सफलता दिलाई है। उत्तर दिल्ली में सितंबर से नवंबर के बीच, इन तकनीकों की मदद से पुलिस ने चोरी और झपटमारी के 70 से अधिक संदिग्धों को गिरफ्तार किया। यह नई प्रणाली अपराधियों पर शिकंजा कसने में एक कारगर हथियार साबित हो रही है।

विशेष AI यूनिट की स्थापना

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने अपराध नियंत्रण और निगरानी के लिए एक विशेष AI यूनिट स्थापित की है। यह यूनिट प्रमुख रूप से डेटा एनालिटिक्स, फेस रिकग्निशन, और अन्य AI तकनीकों का उपयोग करती है।

  • सदस्य संख्या: इस यूनिट में शुरुआत में करीब 100 से 150 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।
  • प्रशिक्षण: इन पुलिसकर्मियों को AI तकनीकों, डेटा विश्लेषण, और उपकरणों के उपयोग का गहन प्रशिक्षण दिया गया है।
  • कार्यप्रणाली: यह यूनिट सभी अपराध रिपोर्ट, CCTV फुटेज, और अन्य डिजिटल डेटा का विश्लेषण करके अपराधियों की पहचान करती है और स्थानीय पुलिस स्टेशनों को कार्रवाई के लिए निर्देश देती है।

AI आधारित कंट्रोल रूम

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने एक अत्याधुनिक कंट्रोल रूम स्थापित किया है, जहां AI तकनीकों का उपयोग अपराध की निगरानी और प्रतिक्रिया के लिए किया जाता है।

  • यह कंट्रोल रूम 24/7 काम करता है।
  • इसमें AI संचालित सिस्टम, जैसे फेशियल रिकग्निशन और वीडियो एनालिटिक्स, का उपयोग किया जाता है।
  • कंट्रोल रूम में तैनात पुलिसकर्मी तुरंत घटनाओं का विश्लेषण करके आवश्यक निर्देश जारी करते हैं।

डेटाबेस और डेटा एनालिटिक्स

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने अपराधियों के लिए एक डिजिटल डेटाबेस तैयार किया है, जिसे नियमित रूप से अपडेट किया जाता है।

  • इस डेटाबेस में लाखों अपराधियों के रिकॉर्ड, उनके फिंगरप्रिंट, चेहरे के स्कैन, और अन्य जानकारियां होती हैं।
  • AI का उपयोग करके इन आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है, ताकि अपराधियों के व्यवहार और अपराध की प्रवृत्तियों का अनुमान लगाया जा सके।

मिशन चंद्रा: एक AI आधारित पहल

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने “मिशन चंद्रा” नामक एक पहल शुरू की है, जिसका उद्देश्य लापता व्यक्तियों को उनके परिवार से मिलाना है।

  • इसके तहत AI आधारित फेस रिकग्निशन सिस्टम (FRS) का उपयोग लापता बच्चों और वयस्कों की पहचान के लिए किया जाता है।
  • इस पहल के तहत, पुलिस ने अब तक 500 से अधिक लापता बच्चों को उनके परिवार से मिलाने में सफलता प्राप्त की है।

AI तकनीकों के क्षेत्रवार उपयोग

1. फेशियल रिकग्निशन सिस्टम (FRS)

FRS का उपयोग दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की प्रमुख AI तकनीकों में से एक है।

  • जनसमुदाय में निगरानी: यह तकनीक मेट्रो स्टेशन, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डों, और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में अपराधियों की पहचान करने में मदद करती है।
  • CCTV डेटा का विश्लेषण: AI तकनीक CCTV कैमरों से जुड़े सिस्टम को अपराधियों की पहचान के लिए सशक्त बनाती है।
  • सफलता: FRS की मदद से, 2023-2024 में 70 से अधिक वांछित अपराधियों को गिरफ्तार किया गया।

2. क्राइम डेटा एनालिटिक्स

AI के माध्यम से, दिल्ली पुलिस (Delhi Police) अपराध डेटा का विश्लेषण करती है।

  • यह प्रणाली अपराध की प्रकृति, स्थान, और समय के आधार पर अपराध प्रवृत्तियों का अध्ययन करती है।
  • उदाहरण: पुलिस ने AI की मदद से पिछले 5 वर्षों के अपराध डेटा का विश्लेषण किया और पाया कि चोरी और स्नैचिंग की घटनाएं किन स्थानों पर अधिक होती हैं। इस जानकारी के आधार पर इन इलाकों में पुलिस गश्त बढ़ाई गई।

3. लाइव वीडियो एनालिटिक्स

लाइव वीडियो एनालिटिक्स का उपयोग चल रही गतिविधियों का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है।

  • संदिग्ध गतिविधियों की पहचान कर पुलिस को तुरंत सतर्क किया जाता है।
  • AI आधारित कैमरे विशेष रूप से भीड़-भाड़ वाले इलाकों और संवेदनशील स्थानों पर लगाए गए हैं।

4. पूर्वानुमान आधारित पुलिसिंग (Predictive Policing)

AI तकनीकों का उपयोग अपराध की संभावनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए किया जा रहा है।

  • AI सिस्टम यह बता सकता है कि किस इलाके में और किस प्रकार का अपराध हो सकता है।
  • पुलिस इन संभावित घटनाओं को रोकने के लिए पहले से ही तैयारी करती है।

FRS: एक प्रभावी अपराध-रोधी उपकरण :

FRS एक अत्याधुनिक तकनीक है जिसे दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के सिविल लाइंस कार्यालय में तैनात पांच पुलिसकर्मियों की एक विशेष टीम नियंत्रित करती है। इनमें से दो अधिकारी कमांड रूम में तैनात हैं, जबकि बाकी तीन एक विशेष मिनी बस में, जिसे FRS उपकरण से लैस किया गया है, अपराध-ग्रस्त इलाकों में गश्त करते हैं। यह टीम लगातार इलाके पर नजर रखती है और किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता लगाने के लिए चौकसी बरतती है।

कैसे काम करती है यह तकनीक?

FRS से सुसज्जित इस मोबाइल यूनिट के ऊपर चार कैमरे लगे हैं जो वाहन के आसपास मौजूद लोगों की तस्वीरें कैप्चर करते हैं। अगर कोई व्यक्ति पुलिस के डेटाबेस में मौजूद है और उसकी तस्वीर इन कैमरों में आती है, तो सिस्टम तुरंत अलर्ट जारी करता है।
इसके बाद स्थानीय पुलिस (Delhi Police) संदिग्ध व्यक्ति की पहचान सत्यापित करती है। इस वैन को इस साल की शुरुआत में अपराध-प्रवण इलाकों में तैनात किया गया था, और अब तक इसने 407 अपराधियों की सफल पहचान में मदद की है।

कम रोशनी में भी बेहतरीन प्रदर्शन

FRS तकनीक ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी शानदार परिणाम दिए हैं। इसके डेटाबेस में करीब 2.5 लाख अपराधियों की जानकारी संग्रहीत है। यह प्रणाली कम रोशनी, आंशिक रूप से ढके हुए चेहरों, धुंधली तस्वीरों, और प्रतिकूल कोणों के बावजूद सटीक पहचान करने में सक्षम है।
पहले, सटीक पहचान के लिए स्पष्ट और उच्च-गुणवत्ता वाली तस्वीरों की आवश्यकता होती थी, लेकिन अब यह तकनीक आंशिक रूप से दिखने वाले चेहरों का भी सटीक मिलान कर सकती है।

FRS तकनीक एक साथ सौ से अधिक कैमरों की फुटेज को प्रोसेस करने की क्षमता रखती है। एक अधिकारी ने बताया कि यह प्रणाली मात्र 200 मिलीसेकंड में एक मिलियन रिकॉर्ड का मिलान कर सकती है। यह कस्टम अलर्ट प्रदान करती है, जिससे अपराधियों की पहचान और गिरफ्तारी में तेजी आती है।

भविष्य की संभावनाएं

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) का यह कदम अपराध नियंत्रण में AI के महत्व को उजागर करता है। FRS जैसी तकनीकें अपराधियों पर नज़र रखने और उन्हें कानून के दायरे में लाने में सहायक साबित हो रही हैं।
यह प्रणाली न केवल वर्तमान में प्रभावी है, बल्कि भविष्य में इसे और उन्नत बनाकर अपराध-रोधी प्रयासों को और भी अधिक सशक्त किया जा सकता है।

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) का यह AI अभियान सुरक्षा में सुधार और तकनीक के सही उपयोग का एक बेहतरीन उदाहरण है।

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