Eleven Labs AI

AI के जरिये प्रोपेगैंडा ! रूसी साज़िश में फंसी वॉइस क्लोनिंग कंपनी “इलेवन लैब्स” । ‘Eleven Labs’ Caught in Russian Conspiracy”

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने दुनिया को नई संभावनाओं और नवाचारों से भर दिया है, लेकिन इसके साथ जुड़े खतरों को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। हाल ही में एक खबर ने दुनिया का ध्यान खींचा, जिसमें वॉइस क्लोनिंग तकनीक में अग्रणी कंपनी इलेवन लैब्स (Eleven Labs) पर यह आरोप लगाया गया कि उनकी एआई (AI) वॉइस जनरेशन तकनीक का इस्तेमाल रूस के प्रोपेगैंडा अभियानों में किया गया। इसका उद्देश्य पश्चिमी देशों में राजनीतिक अस्थिरता और गलत सूचनाएं फैलाना बताया गया।

इस तकनीक ने वॉइस जनरेशन के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। इलेवन लैब्स, जो 28 भाषाओं में आवाजों को पुन: निर्माण करने की क्षमता रखती है, को कंटेंट क्रिएटर्स और प्रकाशकों के बीच लोकप्रियता मिली। लेकिन इसके दुरुपयोग की घटनाओं ने कंपनी की छवि और एआई तकनीक की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं ।

कैसे हुआ कथित दुरुपयोग?

रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस से जुड़े एक प्रभाव अभियान ने इलेवन लैब्स (Eleven Labs) की आवाज जनरेशन तकनीक का उपयोग करके फेक ऑडियो क्लिप बनाए। इन क्लिप्स में राजनेताओं और प्रभावशाली हस्तियों की आवाज की हूबहू नकल की गई, जिससे यह वास्तविक प्रतीत हो। इन नकली आवाजों का उपयोग गलत सूचनाएं फैलाने और समाज में भ्रम और अविश्वास पैदा करने के लिए किया गया।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार की नकली ऑडियो सामग्री आसानी से जनता को गुमराह कर सकती है। उदाहरण के तौर पर, एक फेक क्लिप में किसी नेता को ऐसी बातें कहते हुए दिखाया जा सकता है जो उनकी विचारधारा के बिल्कुल विपरीत हो। इस प्रकार की घटनाएं न केवल राजनीतिक स्थिरता को नुकसान पहुंचा सकती हैं बल्कि समाज में गलतफहमियां भी बढ़ा सकती हैं।

इलेवन लैब्स की प्रतिक्रिया और नए उपाय

दुरुपयोग की खबरें सामने आने के बाद, इलेवन लैब्स (Eleven Labs) ने अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए कई कदम उठाए हैं। कंपनी ने AI Speech Classifier नामक एक टूल लॉन्च किया है, जो यह पहचान सकता है कि ऑडियो एआई (AI) जनरेटेड है या नहीं। यह टूल आम जनता और पार्टनर्स के लिए उपलब्ध कराया गया है, ताकि एआई आधारित फेक ऑडियो को पहचाना जा सके।

इलेवन लैब्स (Eleven Labs) के सीईओ माटी स्टेनिस्ज़वेस्की ने कहा कि कंपनी का उद्देश्य सुरक्षित और जिम्मेदार तकनीक विकसित करना है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वे अपनी तकनीक की निगरानी के लिए और अधिक कठोर कदम उठा रहे हैं।

तकनीकी प्रगति और उसके खतरे

इलेवन लैब्स (Eleven Labs) का यह मामला एआई (AI) की प्रगति और उसके दुरुपयोग के खतरों को उजागर करता है। वॉइस क्लोनिंग तकनीक ने कंटेंट निर्माण को सरल बना दिया है, लेकिन यह तकनीक समाज में झूठी सूचनाओं और धोखाधड़ी के लिए भी इस्तेमाल हो सकती है। नकली आवाजों की सटीकता इतनी अधिक है कि आम जनता और विशेषज्ञों के लिए भी इसे पहचान पाना कठिन हो जाता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तकनीक के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त नियम और कानून आवश्यक हैं। एआई (AI) तकनीक का उपयोग करते समय नैतिकता और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

सार्वजनिक और वैश्विक चिंताएं

इलेवन लैब्स (Eleven Labs) की घटना ने वैश्विक स्तर पर तकनीकी नियामकों और सरकारों का ध्यान आकर्षित किया है। एआई (AI) की सुरक्षा और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा की जा रही है। फेक न्यूज और प्रोपेगैंडा अभियानों को रोकने के लिए संगठनों और सरकारों को साथ मिलकर काम करना होगा।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की प्रगति ने मानवता को नए आयाम दिए हैं, लेकिन इसके साथ जुड़े खतरों को नजरअंदाज करना मुश्किल है। इलेवन लैब्स (Eleven Labs) की घटना एक चेतावनी है कि तकनीकी प्रगति के साथ जिम्मेदारी और सुरक्षा सुनिश्चित करना कितना महत्वपूर्ण है। यह घटना सरकारों, संगठनों, और समाज को सोचने पर मजबूर करती है कि तकनीकी विकास को सुरक्षित और नैतिक रूप से कैसे लागू किया जाए।

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