Hyperspectral imaging

फिंगरप्रिंट नहीं, अब हाथ की नसें (Hyperspectral Imaging) होंगी आपकी पहचान!

आज के दौर में बायोमेट्रिक सुरक्षा (Biometric Security) हमारी पहचान की सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है। फिंगरप्रिंट स्कैनर, रेटिना स्कैनिंग, और फेस रिकग्निशन जैसी तकनीकों का उपयोग कई स्थानों पर हो रहा है, लेकिन इनमें कुछ कमजोरियाँ भी हैं। अब, जापान के शोधकर्ताओं ने एक नई तकनीक विकसित की है जो सुरक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है। यह तकनीक “हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग” (Hyperspectral Imaging) और AI (Artificial Intelligence) का उपयोग करके व्यक्ति की पहचान उसके हाथ की नसों के माध्यम से करती है।

हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग (Hyperspectral Imaging) क्या है?

हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग (Hyperspectral Imaging) एक उन्नत तकनीक है जो रंगों में सूक्ष्म अंतर को पहचानकर किसी वस्तु की विशेषताओं और स्थितियों का पता लगाती है। एक सामान्य कैमरा केवल तीन रंगों – लाल, हरा और नीला – की मदद से तस्वीरें लेता है, लेकिन एक हाइपरस्पेक्ट्रल कैमरा एक ही शॉट में दृश्य से लेकर निकट-अवरक्त प्रकाश तरंगों (Visible to Near-Infrared Light) तक 100 से अधिक छवियाँ प्राप्त कर सकता है। इस तकनीक की मदद से हम उन चीज़ों को भी देख सकते हैं जो हमारी आँखें नहीं देख सकतीं।

हाथ की नसों के आधार पर पहचान संभव क्यों है?

ओसाका मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी (Osaka Metropolitan University) के सेंटर फॉर हेल्थ साइंस इनोवेशन (Center for Health Science Innovation) में विशेष रूप से नियुक्त एसोसिएट प्रोफेसर ताकाशी सुजुकी (Takashi Suzuki) ने हाइपरस्पेक्ट्रल कैमरे और AI-आधारित “रीजन ऑफ इंटरेस्ट” (Region of Interest) का उपयोग करके मानव हाथ की हथेली की तस्वीरें लीं।

हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) में मौजूद हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) प्रकाश को अवशोषित करता है। इस कारण से, हथेली में रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels) की स्थिति को देखना संभव हो जाता है। चूंकि हर व्यक्ति की नसों का पैटर्न अलग होता है, यह बायोमेट्रिक पहचान के लिए एक सुरक्षित विकल्प बन सकता है।

फेस या फिंगरप्रिंट की तुलना में नसों के पैटर्न त्वचा की सतह पर दिखाई नहीं देते, इसलिए इन्हें आसानी से कॉपी या चुराया नहीं जा सकता। इस कारण से, यह तकनीक अन्य पारंपरिक बायोमेट्रिक पहचान प्रणालियों की तुलना में अधिक सुरक्षित मानी जा रही है।

Hyperspectral Imaging

AI के उपयोग से उच्च सटीकता

इस तकनीक की विश्वसनीयता को साबित करने के लिए, प्रोफेसर सुजुकी ने एक ऐसी विधि विकसित की, जिसमें किसी भी स्थिति या ओरिएंटेशन (Position or Orientation) में बायोमेट्रिक जानकारी को पहचाना जा सकता है। AI-आधारित इमेज रिकग्निशन (Image Recognition) की मदद से हथेली की नसों के चित्रों को विश्लेषण करके सटीक पहचान सुनिश्चित की गई।

इसके अलावा, विभिन्न तरंग दैर्ध्य (Wavelengths) में ली गई छवियों को आपस में मिलाकर और AI की सहायता से हथेली के समन्वय (Coordinates) के आधार पर कटिंग करके, शोधकर्ताओं ने अत्यधिक सटीक स्थान, छोटे आकार और उच्च सूचना-सामग्री वाली छवियाँ प्राप्त करने में सफलता हासिल की।

बायोमेट्रिक सुरक्षा में नई क्रांति

प्रोफेसर सुजुकी के अनुसार, “हमने विभिन्न व्यक्तियों के बीच अंतर करने में सफलता प्राप्त की। इसके अलावा, विकसित की गई विधि की सटीकता का परीक्षण किया गया और उच्च स्तर की भेदभाव क्षमता (High Discrimination Accuracy) को प्रमाणित किया गया।”

बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण (Biometric Authentication) की यह नई तकनीक अत्यधिक सुरक्षित मानी जा रही है। यहाँ तक कि इसे घरों की सुरक्षा कुंजी (Security Key) के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है।

स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली में संभावनाएँ

इस तकनीक की एक और अनूठी विशेषता यह है कि यह सिर्फ पहचान (Identification) तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य की जानकारी भी प्रदान कर सकती है। यदि हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग (Hyperspectral Imaging) के माध्यम से हथेली में रक्त प्रवाह और अन्य स्वास्थ्य संकेतकों को पढ़ने की क्षमता विकसित हो जाती है, तो इसे दैनिक स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली (Daily Health Monitoring System) के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है।

AI-आधारित इस तकनीक से यह संभव हो सकता है कि हम अपनी हथेली को स्कैन करके न केवल अपने घर का ताला खोल सकें, बल्कि अपने स्वास्थ्य की भी जाँच कर सकें।

भारत में इस तकनीक का भविष्य

भारत में डिजिटल सुरक्षा और बायोमेट्रिक प्रौद्योगिकी का तेजी से विस्तार हो रहा है। आधार कार्ड, बैंकिंग सिस्टम और स्मार्टफोन अनलॉकिंग जैसे क्षेत्रों में पहले से ही बायोमेट्रिक पहचान का व्यापक उपयोग किया जा रहा है। हालाँकि, फिंगरप्रिंट और फेस रिकग्निशन तकनीकों के साथ कुछ सुरक्षा चिंताएँ जुड़ी हुई हैं।

  1. नकल (Spoofing) का खतरा – फिंगरप्रिंट और फेस स्कैन को नकली प्रतियों से धोखा दिया जा सकता है।
  2. गोपनीयता (Privacy) का मुद्दा – चेहरे की पहचान तकनीक का दुरुपयोग होने की संभावना रहती है।
  3. सटीकता की समस्या – कभी-कभी उंगलियों के घिस जाने या त्वचा की स्थिति बदलने से फिंगरप्रिंट पहचानने में समस्या आती है।

हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग और AI आधारित नसों की पहचान तकनीक इन सभी समस्याओं का समाधान हो सकती है।

संभावित उपयोग

  1. आधार और सरकारी योजनाओं में – बायोमेट्रिक पहचान को और अधिक सुरक्षित बनाया जा सकता है।
  2. बैंकिंग और वित्तीय लेन-देन में – धोखाधड़ी रोकने के लिए अत्यधिक सुरक्षित प्रमाणीकरण प्रणाली बनाई जा सकती है।
  3. स्मार्टफोन और अन्य डिवाइसेज़ में – अधिक सटीक और सुरक्षित अनलॉकिंग सिस्टम लागू किया जा सकता है।
  4. हेल्थ मॉनिटरिंग में – ब्लड सर्कुलेशन और अन्य स्वास्थ्य संकेतकों को मापने में मदद मिलेगी।

हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग (Hyperspectral Imaging) और AI आधारित बायोमेट्रिक सुरक्षा तकनीक भविष्य में पहचान प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। यह पारंपरिक फिंगरप्रिंट और फेस स्कैन से अधिक सुरक्षित, विश्वसनीय और गोपनीयता-संरक्षित तकनीक हो सकती है।

अगर यह तकनीक बड़े पैमाने पर अपनाई जाती है, तो भविष्य में हमें चाबियों और पासवर्ड की जरूरत नहीं पड़ेगी। केवल हमारी हथेली की नसें ही हमारी पहचान और सुरक्षा की गारंटी बन जाएँगी। यह न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए बल्कि राष्ट्रीय डिजिटल संरचना के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि होगी।

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